Friday, September 13, 2019

Movie Review #Dream Girl

आयुष्मान खुराना की फिल्म 'ड्रीम गर्ल' हँसते-हँसाते हुए समाज का एक ऐसा बेबस चेहरा दिखा जाती है जो हमें डराती भी है और सोचने पर भी मजबूर कर देती है.. कहानी बताती है कि आज के दौर में हर आदमी इतना अकेला है कि उसे किसी अनदेखे, अनजाने से भी इस कदर प्यार हो सकता है जिसके लिये वो अपना धर्म तक बदल ले..कलाई की नस काट ले.. स्त्री पुरूष का भेद भूलकर प्रेम संबंधों के एक नये रंग को उघाड़ने के लिये बेचैन हो जाये!  क्यों? क्योंकि फोन के उस पार एक आवाज है.. एक ऐसी आवाज जो उसे ये भरोसा दे रही है कि वो उसके साथ है.. वो आवाज जो उसे ये तसल्ली दे रही है कि हाँ कोई है जो तुम्हें सुन रहा/रही है.. कोई है जिससे तुम सब कह सकते हो? इसी नाटकीय त्रासदी पर बनी यह फिल्म कहीं कहीं बोर भी करती है, लेकिन कुल मिलाकर देखने लायक बन पड़ी है.. आयुष्मान खुराना हर बार की तरह आपका दिल जीत लेंगे..ऐसा कहा जा सकता है कि आयुष्मान इस फिल्म के हीरो ही नहीं बल्कि हीरोइन भी हैं.. मेरी फेवरेट अभिनेत्री नुशरत भरूचा के हाथ कुछ ख़ास है नहीं इस फिल्म में.. राइटर-डायरेक्टर राज शांडिल्य ने फिल्म लिखी तो अच्छी है पर मुझे ऐसा लगा कि कहीं-कहीं डायरेक्शन में वो थोड़े कमजोर रह गये.. हालांकि, डॉयलॉग कमाल के हैं..मेरे हिसाब से एक मनोरंजक फिल्म.. मेरी रेटिंग साढ़े तीन स्टार.. थैंक्यू.. #हीरेंद्र

Sunday, September 08, 2019

छिछोरे #रिव्यू

छिछोरे.. यह फिल्म हर माँ बाप को अपने बच्चों के साथ और हर महबूब को अपने आशिक के साथ देखनी चाहिये.. वे लोग जो सपने देखते हैं, ये उनकी फिल्म है..  यह जीतने वालों ही नहीं हारने वालों की फिल्म भी है.. यह दोस्ती, भरोसे और संकल्प की कहानी है.. मस्ती में डूबे नौजवानों की कहानी है. डायरेक्टर नितेश तिवारी ने दंगल के बाद भारतीय सिनेमा को एक और खूबसूरत फिल्म की सौगात दी है.. और अंत में ज़िंदगी में सबसे महत्वपूर्ण चीज खुद ज़िंदगी ही है इस मैसेज के साथ यह फिल्म हमें ऑक्सीजन भी दे जाती है..  मेरी रेटिंग पांच में से साढ़े चार स्टार..देख आईयेगा... शुक्रिया!

विदा 2021

साल 2021 को अगर 364 पन्नों की एक किताब मान लूँ तो ज़्यादातर पन्ने ख़ुशगवार, शानदार और अपनों के प्यार से महकते मालूम होते हैं। हिसाब-किताब अगर ...