ब्लॉगनामा: हर किसी को चाहिए एक ठौर...
मैं सिर्फ देह ही नहीं हूँ, एक पिंजरा भी हूँ, यहाँ एक चिड़िया भी रहती है... एक मंदिर भी हूँ, जहां एक देवता बसता है... एक बाजार भी हूँ , जहां मोल-भाव चलता रहता है... एक किताब भी हूँ , जिसमें रोज़ एक पन्ना जुड जाता है... एक कब्रिस्तान भी, जहां कुछ मकबरे हैं... एक बाग भी, जहां कुछ फूल खिले हैं... एक कतरा समंदर का भी है ... और हिमालय का भी... कुछ से अनभिज्ञ हूँ, कुछ से परिचित हूँ... अनगिनत कणों को समेटा हूँ... कि मैं ज़िंदा हूँ !!! - हीरेंद्र
Friday, December 31, 2021
विदा 2021
Saturday, February 13, 2021
पहला चुम्बन #हीरेंद्र
Monday, February 08, 2021
ये रास्ते मुझे पहचानते हैं #हीरेंद्र
Tuesday, September 15, 2020
अनमोल आँसू
Sunday, September 13, 2020
अंतिम प्रणाम रघुवंश प्रसाद सिंह
जीवन का पहला टीवी इंटरव्यू मैंने रघुवंश प्रसाद सिंह का किया था.. तब वो मनमोहन सिंह सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री हुआ करते थे.. साल 2006, मैं दूरदर्शन के लिए ट्रेड फेयर कवर कर रहा था.. मंत्री जी किसी को बाइट नहीं दे रहे थे.. मैं धक्का-मुक्की खाते हुए मंच पर चढ़ गया और कहा- 'अंकल आपकी बाइट चाहिये..' वो हँसने लगे.. बोले-' पहली बार आये हो क्या?' मैंने कहा- जी ... और फिर उन्होंने बड़े प्यार से मुझसे बातचीत की। अब कोई भी उनका इंटरव्यू नहीं कर पायेगा। उन्हें अंतिम प्रणाम।
निधन से बस कुछ घंटे पहले ही उन्होंने लालू प्रसाद यादव को चिट्ठी लिख कर पार्टी से अलग होने की बात बता दी थी। उससे पहले वो बीते 32 साल से लालू प्रसाद के साथ हर पल और मुद्दे पर खड़े रहे थे। लालू पर दुनिया भर के आरोप ल लेकिन, रघुवंश बाबू उनके साथ रहकर भी बेदाग रहे। पूरी ज़िंदगी वो जनता से जुड़े सवाल मजबूती से उठाते रहे हैं। उनके निधन के बाद राजनीति के एक युग का अंत भी हो गया।
Monday, August 31, 2020
विदा प्रणब मुखर्जी, एक बच्चे की नज़र से
Saturday, August 29, 2020
हीरेंद्र की डायरी: अतीत और भविष्य नहीं बल्कि वर्तमान के प्रति सजगता ज़रूरी
विदा 2021
साल 2021 को अगर 364 पन्नों की एक किताब मान लूँ तो ज़्यादातर पन्ने ख़ुशगवार, शानदार और अपनों के प्यार से महकते मालूम होते हैं। हिसाब-किताब अगर ...
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"हम हैं बच्चे आज के बच्चे हमें न समझो तुम अक़्ल के कच्चे हम जानते हैं झूठ और सच हम जानते हैं गुड टच, बैड टच मम्मी, पापा जब...
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रेप की ख़बरें तब से भयावह लगने लगी है, जबसे रेप का मतलब समझ में आया. मेरी एक दोस्त ने मुझे बताया था कि एक बार जब वो चौदह साल की थी तो उसके...
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साल 2021 को अगर 364 पन्नों की एक किताब मान लूँ तो ज़्यादातर पन्ने ख़ुशगवार, शानदार और अपनों के प्यार से महकते मालूम होते हैं। हिसाब-किताब अगर ...