मैं जिधर से भी गुज़रता हूँ...
एक नज़्म छोड़ता हुआ
आगे बढ़ता जाता हूँ ...
ताकि जब कभी तुम
मुझ तक पहुँचना चाहो
तो रास्ता न भटको...
नज़्म के निशान देख..
मुझ तक पहुंच सको!
जो न आना चाहो
तो भी कोई बात नहीं..
कम से कम
नई नज़्म लिखने की वजह तो बनी रहेगी!
मैं लिखता रहूँगा
इस आस में कि
एक दिन तुम ज़रूर आओगी....
आज इतना ही, शेष मिलने पर
- तुम्हारा ही #हीरेंद्र
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