कबीर सिंह फिल्म में कबीर का किरदार निभाने वाले शाहिद कपूर जहाँ और जब मन आये मूतने लगता है.. मैं इस फिल्म को 'गुड' या 'बेड' के खांचे में रख कर नहीं देखता.. लेकिन, यह फिल्म जरूर देखी जानी चाहिये.. और देखने के बाद इस फिल्म से उपजे भावों पर मूत करके आगे बढ़ जाना चाहिए.. कबीर सिंह हीरो नहीं है.. लेकिन, कबीर सिंह इस समाज का एक घिनौना सच है.. कबीर सिंह जिसे प्यार समझता है दरअसल वो उसकी सनक है.. जिसमें वो खुद के सिवा किसी और को नहीं देखना चाहता!! #हीरेंद्र
मैं सिर्फ देह ही नहीं हूँ, एक पिंजरा भी हूँ, यहाँ एक चिड़िया भी रहती है... एक मंदिर भी हूँ, जहां एक देवता बसता है... एक बाजार भी हूँ , जहां मोल-भाव चलता रहता है... एक किताब भी हूँ , जिसमें रोज़ एक पन्ना जुड जाता है... एक कब्रिस्तान भी, जहां कुछ मकबरे हैं... एक बाग भी, जहां कुछ फूल खिले हैं... एक कतरा समंदर का भी है ... और हिमालय का भी... कुछ से अनभिज्ञ हूँ, कुछ से परिचित हूँ... अनगिनत कणों को समेटा हूँ... कि मैं ज़िंदा हूँ !!! - हीरेंद्र
Tuesday, June 25, 2019
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विदा 2021
साल 2021 को अगर 364 पन्नों की एक किताब मान लूँ तो ज़्यादातर पन्ने ख़ुशगवार, शानदार और अपनों के प्यार से महकते मालूम होते हैं। हिसाब-किताब अगर ...

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"हम हैं बच्चे आज के बच्चे हमें न समझो तुम अक़्ल के कच्चे हम जानते हैं झूठ और सच हम जानते हैं गुड टच, बैड टच मम्मी, पापा जब...
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रेप की ख़बरें तब से भयावह लगने लगी है, जबसे रेप का मतलब समझ में आया. मेरी एक दोस्त ने मुझे बताया था कि एक बार जब वो चौदह साल की थी तो उसके...
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भोपाल के डा. बशीर बद्र उर्दू के एक ऐसे शायर हैं जिनकी सहज भाषा और गहरी सोच उन्हें गजल प्रेमियों के बीच एक ऐसे स्थान पर ले गई है जिसकी बराबरी...
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