मैंने यह अनुभव किया है कि इस दुनिया में सबसे ज़्यादा लोग 'प्रेम' में ठगे गये हैं.. संभवत: इसलिये एक प्रेमी कभी सियासत या सिस्टम को 'ठग' नहीं कहता.. उसके अपने दर्द के आगे दुनिया का हर दर्द, हर उथल-पुथल फीका लगता है. वो भीड़ से बचता है. एकांत में देर तक सूनी आँखों से अपने अतीत में झांकता रहता है. वह उस उलझे धागों को सुलझाने की कोशिश में और उलझकर रह जाता है. वह गले फाड़ कर रोना चाहता है. पर सुबक कर रह जाता है. तड़प कर रह जाता है. वो कोसना चाहता है पर अपनी पूर्व प्रेमिका को जी भर कर कोस भी नहीं पाता. वो फेसबुक पर भी घुमा- फिराकर प्रेम के अपने कटु अनुभव पर पोस्ट लिखने लगता है.. वो जानता है कि ये सब सच है, पर कोई उसकी बात को गंभीरता से नहीं लेगा..वो खुद भी यही चाहता है..वो बेबस और असहाय दिखना नहीं चाहता.. कभी-कभी मुस्कुराते हुए सेल्फी भी शेयर करता है.. ऐसा कई बार कई दिनों या फिर महीनों तक चलता है. फिर वो धीरे-धीरे सामान्य हो जाता है.. फिर वो थोड़ा सा पत्थर हो जाता है.. #हीरेंद्र
मैं सिर्फ देह ही नहीं हूँ, एक पिंजरा भी हूँ, यहाँ एक चिड़िया भी रहती है... एक मंदिर भी हूँ, जहां एक देवता बसता है... एक बाजार भी हूँ , जहां मोल-भाव चलता रहता है... एक किताब भी हूँ , जिसमें रोज़ एक पन्ना जुड जाता है... एक कब्रिस्तान भी, जहां कुछ मकबरे हैं... एक बाग भी, जहां कुछ फूल खिले हैं... एक कतरा समंदर का भी है ... और हिमालय का भी... कुछ से अनभिज्ञ हूँ, कुछ से परिचित हूँ... अनगिनत कणों को समेटा हूँ... कि मैं ज़िंदा हूँ !!! - हीरेंद्र
Saturday, January 25, 2020
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विदा 2021
साल 2021 को अगर 364 पन्नों की एक किताब मान लूँ तो ज़्यादातर पन्ने ख़ुशगवार, शानदार और अपनों के प्यार से महकते मालूम होते हैं। हिसाब-किताब अगर ...

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"हम हैं बच्चे आज के बच्चे हमें न समझो तुम अक़्ल के कच्चे हम जानते हैं झूठ और सच हम जानते हैं गुड टच, बैड टच मम्मी, पापा जब...
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रेप की ख़बरें तब से भयावह लगने लगी है, जबसे रेप का मतलब समझ में आया. मेरी एक दोस्त ने मुझे बताया था कि एक बार जब वो चौदह साल की थी तो उसके...
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भोपाल के डा. बशीर बद्र उर्दू के एक ऐसे शायर हैं जिनकी सहज भाषा और गहरी सोच उन्हें गजल प्रेमियों के बीच एक ऐसे स्थान पर ले गई है जिसकी बराबरी...
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