Monday, April 13, 2015

आज तुम इतने बुझे-बुझे से क्यों हो?



शाम का अँधेरा गहरा होता इस से पहले तुमने मुझे जलाया...
मैं लालटेन की तरह जलता रहा...तुम अपने सारे काम जल्दी-जल्दी निपटाती रही... काम पूरा हुआ, रात होने को है, अब तुम्हे सोना है शायद !!तुमने लौ कम करके फूंक मार कर मुझे बुझा दिया..तुम सो गए ...मैं बुझ गया...तेरे सपने ने मुझसे पूछा था,जब तुम नींद में थे...आज तुम इतने बुझे-बुझे से क्यों हो? - हीरेंद्र

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विदा 2021

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