हम
सब अपनी-अपनी ज़िम्मेदारी ईमानदारी से निभाएँ...आओ नया इंडिया बनाएँ.." वे
लोग बेशक न कर पा रहे हों " भारत निर्माण", हम ही बना लें एक नया
हिन्दुस्तान.."
मैं सिर्फ देह ही नहीं हूँ, एक पिंजरा भी हूँ, यहाँ एक चिड़िया भी रहती है... एक मंदिर भी हूँ, जहां एक देवता बसता है... एक बाजार भी हूँ , जहां मोल-भाव चलता रहता है... एक किताब भी हूँ , जिसमें रोज़ एक पन्ना जुड जाता है... एक कब्रिस्तान भी, जहां कुछ मकबरे हैं... एक बाग भी, जहां कुछ फूल खिले हैं... एक कतरा समंदर का भी है ... और हिमालय का भी... कुछ से अनभिज्ञ हूँ, कुछ से परिचित हूँ... अनगिनत कणों को समेटा हूँ... कि मैं ज़िंदा हूँ !!! - हीरेंद्र
Monday, July 15, 2013
एक अलग तरह का शून्य
शून्य
में उतर जाने के लिए कुछ लोग नशा करते हैं..कुछ समाधि और कुछ योग भी, कुछ
सम्भोग भी! पर, कभी काम में डूब कर देखिये..एक अलग तरह का शून्य उभरता
है..कुछ नहीं दिखता, कुछ नहीं मालुम पड़ता..आप अपनी ही एक दुनिया में होते
हैं..आप सबको मिस करता हूँ..कुछ लोगों की लेखनी नहीं पढ़ पाने का मलाल रहता
है..
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