Friday, December 31, 2021

विदा 2021

साल 2021 को अगर 364 पन्नों की एक किताब मान लूँ तो ज़्यादातर पन्ने ख़ुशगवार, शानदार और अपनों के प्यार से महकते मालूम होते हैं। हिसाब-किताब अगर करना ही पड़े तो यही पाता हूँ कि तराजू के जिस ओर मेरा मन रखा है, वही पलड़ा भारी पड़ा है। यानी वही किया, जो मेरे मन  ने कहा। 

31 दिसंबर है आज, यानी साल का अंतिम दिन। फिलहाल अपने गाँव में हूँ। साल 2021 में लगभग दस महीने यहीं अपने गाँव ही रहा हूँ। जीवन में यह पहला मौका है कि गाँव को इतने करीब से देख-जान सका हूँ। यह साल इसलिए भी ख़ास बन जाता है। मैं मानता हूँ कि हम सबके भीतर एक गाँव बचा रहना चाहिए। गाँव के बचे रहने का मतलब है प्रकृति, परिवार और एक वैभवशाली विरासत में हमारी आस्था का बचे रहना। तुलसी के पौधे में अमृत और पीपल के पेड़ पर चुड़ैल का बचे रहना। जीवन में उत्सव और हमारे उत्सवों में उल्लास का बचे रहना।


..और शहर। शहर का मतलब है हमारे सपनों का विस्तार, शहर का मतलब है समय के साथ चलना। शहर का मतलब है जो आपको आत्म निर्भर और स्वाभिमानी बनाये। शहर का मतलब है ...मुंबई! 😊


साल 2021 पर लौटूं तो इसमें दर्द से भरा जनवरी भी है तो कलेजे को छलनी करता अप्रैल भी। लेकिन, लेकिन, लेकिन, मुझे संभालता दिसंबर अब मुझे अपनी बाँहों में ले चुका है। यहाँ जश्न मनाता नवंबर भी है तो इठलाता हुआ अगस्त और सितंबर भी। जून, जुलाई ने अबकी मुझे ज़्यादा जिम्मेदार बनाया है। अक्टूबर की बात करें तो इस बार  दशहरे में एक बार फिर से राम ने रावण को मार गिराया है। 

एक दिन मैं बाबूजी के पास बैठा कुछ- कुछ बतिया रहा था। मैंने उनसे पूछा कि - 'बाबूजी इतना लंबा संघर्ष रहा है आपका जीवन.. मैंने आपको कभी हताश, उदास या परेशान नहीं देखा कभी? क्या रहस्य है इसका?' बाबूजी ने बड़े गर्व से कहा कि- "जीवन में अगर अच्छे दोस्त हों तो सब कुछ आसान हो जाता है! " मैंने बाबूजी की ये बात गाँठ बांध ली है। 


साल के बीतने से पहले आप सभी दोस्तों को याद कर रहा हूँ। 

आपको याद कर रहा हूँ। और हाँ तुम्हें भी... सबका शुक्रिया, अभिनंदन और आभार। शेष मिलने पर ❤️

*आपका हीरेंद्र*

विदा 2021

साल 2021 को अगर 364 पन्नों की एक किताब मान लूँ तो ज़्यादातर पन्ने ख़ुशगवार, शानदार और अपनों के प्यार से महकते मालूम होते हैं। हिसाब-किताब अगर ...