Tuesday, April 28, 2020

#एकप्रेमीकीडायरी #हीरेंद्र

ज़िंदगी से होने को तो बहुत सारी वाज़िब शिकायतें हैं मेरे पास पर साँस लेने की सिर्फ़ एक वजह आज भी तुम ही हो। जैसे चाय की इन चुस्कियों में तेरी स्मृतियों का स्वाद घुला है, वैसे ही खिलते-महकते ये फूल मुझे तुम्हारी निर्मल मुस्कान की याद दिलाये संभाले रहती हैं। मैंने पिछले एक महीने में तुमको जितना याद किया है, इतने पर रामायण काल में परमपिता ब्रह्मा स्वयं प्रकट हो जाया करते थे। आज भी अगर वे आ जाएं और मुझे कुछ वरदान देने का मन बनाएं तो मैं उनसे बस यही माँगू कि मेरे चित्त से तुम्हारी छवि कभी धूमिल न होने पाए। सुना तुमने उन्होंने तथास्तु कहा है। क्या कहा? मैं बौरा गया हूँ। हो सकता है.. क्योंकि किसी के प्रेम में बौरा जाने की पूरी संभावना होती है। इसके अलावा कोई और विकल्प भी तो नहीं! #एकप्रेमीकीडायरी #हीरेंद्र

Monday, April 27, 2020

एक प्रेमी की डायरी 😊 #हीरेंद्र

तुमको याद करते हुए जब मेरा मन खुद से ही बात कर रहा होता है ...
तो मैंने यह अनुभव किया है, कि मेरा ये मन, कई बार मुझे ही सुनने से इंकार कर देता है...

हाँ, जब ज़िक्र तुम्हारा आ जाए तो यह इकलौता सा मेरा दिल भी मेरी नहीं सुनता।

 हवा, मौसम, चाँद, सितारे, बादल, पेड़, ये फूल... कोई भी मेरी नहीं सुनता।

 जिसे मैं अपना हमराज़ समझता हूँ, वो समंदर भी मुँह फेर कर मुझे पहचानने से इंकार कर देता है.

 तुम यहाँ नहीं होती, पर ये सब तुम्हारी तरफ़दारी में लग जाते हैं.
यूँ लगता है मानो, कि इस पूरी प्रकृति को तुमने मेरी पहरेदारी में लगा रखा है...

 कभी-कभी तो मैं भी खुद को एक कटघरे में खड़ा पाता हूँ.

सुनो...मुझे इनमें से किसी पर भी भरोसा नहीं।
तुम भी इनका ऐतबार मत करना।

मैं जानता हूँ कि एक चिड़िया की चोंच तक से उसकी उदासी पहचान लेने वाली तुम...इतनी निष्ठुर नहीं, कि मेरी संवेदनाएँ तुम तक न पहुँचती हों...

 #हीरेंद्र #एकप्रेमीकीडायरी

Sunday, April 12, 2020

जलियांवाला बाग नरसंहार की कहानी, इन तस्वीरों की ज़ुबानी #JallianwalaBaghmassacre


आज वैशाखी है. पंजाब और हरियाणा में इस पर्व की ख़ासी धूम रहती है. नयी फ़सल की आमद का यह जश्न हर साल इसी तारीख यानी 13 अप्रैल को ही मनाया जाता है.  लेकिन, यह तारीख इतिहास में भी अपनी एक अलग भयावहता के लिए अंकित है. जलियांवाला बाग नरसंहार के बारे में किसने नहीं सुना. आज से 101 साल पहले इसी दिन सारी दुनिया ने अंग्रेज़ों का एक क्रूर और अमानवीय चेहरा देखा था.






राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने रॉलेट एक्ट के विरोध में देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया था, जिसके बाद मार्च के अंत और अप्रैल की शुरुआत में देश के कई हिस्सों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए और उसका परिणाम 13 अप्रैल 1919 के नरसंहार के रूप में दिखा.

 देश के अधिकांश शहरों में 30 मार्च और 6 अप्रैल को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया गया. हालांकि इस हड़ताल का सबसे ज़्यादा असर पंजाब में देखने को मिला. 13 अप्रैल को लगभग शाम के साढ़े चार बज रहे थे, जनरल डायर ने जलियांवाला बाग में मौजूद क़रीब 25 से 30 हज़ार लोगों पर गोलियां बरसाने का आदेश दे दिया. वो भी बिना किसी पूर्व चेतावनी के. ये गोलीबारी क़रीब दस मिनट तक बिना सेकंड रुके होती रही. जनरल डायर के आदेश के बाद सैनिकों ने क़रीब 1650 राउंड गोलियां चलाईं. गोलियां चलाते-चलाते चलाने वाले थक चुके थे और 379 ज़िंदा लोग लाश बन चुके थे. (अनाधिकारिक तौर पर कहा जाता है कि क़रीब एक हज़ार लोगों की मौत हुई थी और दो हज़ार से ज़्यादा लोग घायल हुए थे).




क्या आप जानते हैं 1997 में ब्रिटेन की महारानी एलिज़ाबेथ ने इस स्मारक पर मृतकों को श्रद्धांजलि दी थी। साल 2013 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरॉन भी इस स्मारक पर आए थे। विजिटर्स बुक में उन्होंनें लिखा कि "ब्रिटिश इतिहास की यह एक शर्मनाक घटना थी।

विदा 2021

साल 2021 को अगर 364 पन्नों की एक किताब मान लूँ तो ज़्यादातर पन्ने ख़ुशगवार, शानदार और अपनों के प्यार से महकते मालूम होते हैं। हिसाब-किताब अगर ...