Monday, April 27, 2020

एक प्रेमी की डायरी 😊 #हीरेंद्र

तुमको याद करते हुए जब मेरा मन खुद से ही बात कर रहा होता है ...
तो मैंने यह अनुभव किया है, कि मेरा ये मन, कई बार मुझे ही सुनने से इंकार कर देता है...

हाँ, जब ज़िक्र तुम्हारा आ जाए तो यह इकलौता सा मेरा दिल भी मेरी नहीं सुनता।

 हवा, मौसम, चाँद, सितारे, बादल, पेड़, ये फूल... कोई भी मेरी नहीं सुनता।

 जिसे मैं अपना हमराज़ समझता हूँ, वो समंदर भी मुँह फेर कर मुझे पहचानने से इंकार कर देता है.

 तुम यहाँ नहीं होती, पर ये सब तुम्हारी तरफ़दारी में लग जाते हैं.
यूँ लगता है मानो, कि इस पूरी प्रकृति को तुमने मेरी पहरेदारी में लगा रखा है...

 कभी-कभी तो मैं भी खुद को एक कटघरे में खड़ा पाता हूँ.

सुनो...मुझे इनमें से किसी पर भी भरोसा नहीं।
तुम भी इनका ऐतबार मत करना।

मैं जानता हूँ कि एक चिड़िया की चोंच तक से उसकी उदासी पहचान लेने वाली तुम...इतनी निष्ठुर नहीं, कि मेरी संवेदनाएँ तुम तक न पहुँचती हों...

 #हीरेंद्र #एकप्रेमीकीडायरी

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