Tuesday, April 28, 2020

#एकप्रेमीकीडायरी #हीरेंद्र

ज़िंदगी से होने को तो बहुत सारी वाज़िब शिकायतें हैं मेरे पास पर साँस लेने की सिर्फ़ एक वजह आज भी तुम ही हो। जैसे चाय की इन चुस्कियों में तेरी स्मृतियों का स्वाद घुला है, वैसे ही खिलते-महकते ये फूल मुझे तुम्हारी निर्मल मुस्कान की याद दिलाये संभाले रहती हैं। मैंने पिछले एक महीने में तुमको जितना याद किया है, इतने पर रामायण काल में परमपिता ब्रह्मा स्वयं प्रकट हो जाया करते थे। आज भी अगर वे आ जाएं और मुझे कुछ वरदान देने का मन बनाएं तो मैं उनसे बस यही माँगू कि मेरे चित्त से तुम्हारी छवि कभी धूमिल न होने पाए। सुना तुमने उन्होंने तथास्तु कहा है। क्या कहा? मैं बौरा गया हूँ। हो सकता है.. क्योंकि किसी के प्रेम में बौरा जाने की पूरी संभावना होती है। इसके अलावा कोई और विकल्प भी तो नहीं! #एकप्रेमीकीडायरी #हीरेंद्र

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विदा 2021

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