चारुल मल्लिक देश की जानी मानी एंटरटेनमेंट जर्नलिस्ट
और एंकर हैं। अपने 18 साल लंबे करियर
में उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई है। लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड में दर्ज़ चारुल मल्लिक चार बार बेस्ट
एंकर (मनोरंजन) का एनटी अवॉर्ड हासिल कर चुकी हैं इसके अलावा बेस्ट एंटरटेन्मेंट
एंकर के लिए वो दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित हो चुकी हैं। चारुल उन तमाम लड़कियों के लिए भी एक रोल मॉडल हैं जो
पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहती हैं। उनकी यात्रा और करियर से जुड़े मसलों पर सहायक संपादक हीरेंद्र
झा ने उनसे लंबी बातचीत की। प्रस्तुत हैं
उस बातचीत के अंश-
हीरेंद्र: अपने बचपन और परवरिश के बारे में कुछ बताएं?
चारुल मल्लिक: मेरा जन्म
चंडीगढ़ में हुआ। मेरी ट्विन्स सिस्टर है पारुल।
तो बचपन से मुझे चारुल-पारुल सुनने की आदत थी। मेरी बहन पारुल की वजह से मुझे कभी दोस्तों की ज़रूरत
नहीं पड़ी। मैं ये नहीं कहती कि दोस्त ज़रूरी नहीं होते पर मुझे
घर में ही शुरू से एक ऐसा माहौल मिल गया कि हमें किसी और की ज़रूरत नहीं रही और हमारी बुनियादी ट्रेनिंग वहीं
शुरू हो गयी। मेरी मम्मी आशा मल्लिक जो टीचर थीं, उन्हें डांस, सिंगिंग सब
आता था। वो हिंदी की प्रोफ़ेसर भी थीं तो हमारी परवरिश काफी अच्छी रही। मेरा छोटा भाई है गौरव, वो अमेरिका में
है। मैनेजर है और वो भी रैप
गाने गाता है, काफी टैलेंटेड है। मेरे परिवार में सब आर्टिस्ट हैं। तो कुछ ऐसा ही
माहौल था। मेरे नाना सांसद और विधायक रहे
हैं तो बहुत ही रॉयल फैमिली से थी मम्मी, पापा से लव मैरिज के बाद वो
चंडीगढ़ आकर बस गयीं। मेरे पापा भी सिंगिंग और इस तरह की चीज़ों में एक्टिव थे तो
कुल मिलाकर हमें विरासत में ही कला और आर्ट्स के प्रति एक रुझान मिला।
हीरेंद्र: उस दौर की कुछ
यादें?
चारुल मल्लिक: जब मैं पांच
साल की थी तब मैं एक बॉक्स को टीवी की तरह बनाकर उस पर न्यूज़ पढ़ती या कुछ प्रोग्राम पेश कर रही होती।
मेरी बहन पारुल भी ड्राइंग और सिंगिंग में बिज़ी रहती। होता ये था
कि जब भी मेरे घर में कोई गेस्ट आता था मम्मी खूब मोटिवेट करती और कहती चारुल अब पोएम सुनाएगी और मैं सुनाने लगती। तो यह एक अलग तरह
की ट्रेनिंग थी। तो मैं यह कह सकती हूँ कि आज मैं जो कुछ भी हूँ मम्मी की वजह से
हूँ। पापा भी काफी सपोर्ट करते थे। वो लॉयर थे और ना बोलने वाले भी कहीं न कहीं आपको इंस्पायर ही कर
रहे होते हैं कुछ करने के लिए। एक दिलचस्प बात बताऊँ कि उस
वक़्त मैं जहाँ कहीं भी कोई प्रोग्राम कर रही होती तो मेरी मम्मी वहां तब
वीडियोग्राफर लेकर आतीं और सारा प्रोग्राम रिकॉर्ड कर रही होतीं। उस वक़्त
वीडियोग्राफी आज की तरह आसान नहीं था। उसके लिए बहुत एफोर्ट करना होता था तो यह सब
मैंने बचपन से देखा है तो उन वजहों से आज मैं स्क्रीन पर इतनी कॉंफिडेंट रहती हूँ।
हीरेंद्र: मीडिया में आना है यह कब तय
किया आपने?
चारुल मल्लिक: मैंने मीडिया
में आने के लिए कोई कोर्स नहीं किया है। मैं बीए एल.एल.बी हूँ। मैंने दसवीं के बाद पांच साल वाले लॉ
के कोर्स में दाखिला लिया था। उसी दौरान मैं ऑल इण्डिया रेडियो से जुड़ी और मुझे याद है मुझे पहला
चेक साढ़े तीन सौ रुपये का आया था। उसके बाद मैं लोकल सिटी चैनल से जुड़ी जिसमें मैं न्यूज़
पढ़ती थी। उसी दौरान जब मेरा लॉ हो गया तब
मैंने प्रॉपर काम करना शुरू कर दिया। उसी समय मेरी शादी भी हो गयी और मैं दूसरे
परिवार में आ गयी लेकिन वहां भी मुझे सबका सपोर्ट मिला और फिर मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
हीरेंद्र: संक्षेप में अपनी यात्रा के बारे में बताएं?
चारुल मल्लिक: मैंने अपना
करियर सबसे पहले जैन टीवी से शुरू किया जहाँ मैं तीन महीने रही। उसके बाद मैं
सहारा में आ गयी, जहाँ मैं हिंदी और अंग्रेजी दोनों के लिए प्रोग्राम
करती थी। वहां दो साल रहने के बाद मैं स्टार न्यूज़ आ गयी, वहां मॉर्निंग बुलेटिन मेरा ही होता था। मैं
दिन की शुरुआत करती थी। उसके बाद मेरे पति का ट्रांसफर हो गया और स्टार न्यूज़
ने मुझे मुंबई भेजने से मना कर दिया गया। उसके बाद मैं आज तक आ गयी और यह एक टर्निंग पॉइंट रहा क्योंकि यहाँ से मैं एंटरटेन्मेंट एंकरिंग शुरू की। यह काफी चैलेंजिंग था मेरे लिए। उसके बाद मैं इण्डिया
टीवी आयी। यहाँ पूरा शो मैं ही रन करती हूँ। सारा कंटेंट मैं डिसाइड करती हूँ। शो
का कांसेप्ट, थीम और बैकग्रॉउंड तक मैं सब तय करती हूँ और ये रोज़
का शो है। एक घंटे का प्रोग्राम है, जिसमें मुझे रोज़ कुछ न कुछ नया करना है।
हीरेंद्र: मैंने सुना है कि अपने शो के कपड़े, लुक और
प्रॉप्स भी आप ही खुद सेलेक्ट करती हैं?
चारुल मल्लिक: हाँ मैं अपनी
ड्रेस स्टाइलिस्ट खुद हूँ और अपने लुक पर खुद ही मेहनत करती हूँ। अब तो मार्केट में शॉप वाले भी मुझे पहचानते हैं तो
मेरे शो के हिसाब से मुझे चीज़ें देने में
मेरी मदद भी करते हैं।
हीरेंद्र: एक एंकर की क्वालिटी और चैलेंज आपकी नज़र में क्या है?
चारुल मल्लिक: करियर के लिहाज से एंकरिंग एक बेहतरीन विकल्प है। लेकिन, मीडिया में
जो लोग आते हैं उन्हें यह याद रखनी चाहिए कि यह काफी डेडिकेशन वाली लाइन है। अगर आपको एंकर बनना है तो आपको खुद को फिट रखना है। आपको स्माइलिंग, चार्मिंग रखना है। आपका मूड
खराब होगा तो आपके चेहरे पर दिख जाएगा। आपको दुनिया जहान की टेंशन होगी वो सब भूलकर
आपको हमेशा स्माइल करना होगा। एक एंकर के लिए
ज़रूरी है उसका प्रेजेंटेशन
अच्छा हो तो आपको अपने ड्रेसिंग सेन्स और लुक का भी ध्यान रखना चाहिए।
ख़ासकर आप अगर एंटरटेन्मेंट एंकर हैं तो आपको काफी एनर्जेटिक और
प्लीजेंट होना होता है।
हीरेंद्र: सितारों की दुनिया को आप इतने
करीब से देखती हैं, उन लोगों से जुड़ा अपना कोई अनुभव शेयर कीजिये?
चारुल मल्लिक: ये सितारे जिनको आप टीवी पर देखते हैं ये सब बहुत मेहनती लोग
होते हैं। दिन रात इनको काम करना होता है। दूसरी बात ये टीवी पर जितने अच्छे दिखते
हैं उनके लिए यह भी उतना ही चैलेंजिंग होता है कि वो ऑफ स्क्रीन भी वैसा ही दिखे।
इसके लिए भी वो बहुत मेहनत करते रहते हैं। अगर वे एयरपोर्ट पर दिखते हैं तो वहां
भी उन्हें स्टाइल और चार्म मैंटेन करना है। उन्हें जिम भी जाना है, दूर दूर तक
स्टूडियो जाकर शूट करना होता है, घर-परिवार के लिए भी ज़्यादा समय नहीं दे पाते। तो यह
सब आसान नहीं। लोगों को इन स्टार्स का ग्लैमर तो दिखता है लेकिन, उनकी मेहनत नहीं दिखती!
हीरेंद्र: मीडिया में महिलाओं की क्या स्तिथि है?
चारुल मल्लिक: मीडिया में मैं समझती हूँ कि महिलाओं के साथ कोई भेदभाव नहीं है।
मैं इण्डिया टीवी में हूँ तो यहाँ लड़कियों के लिए अच्छा माहौल है। उनकी सुनी
जाती है। हमारे यहाँ रितु मैम बॉस हैं तो उनकी वजह से लड़कियों के लिए काफी अच्छा
माहौल है। इन्फैक्ट और भी लीडिंग चैनलों में कई अच्छी एंकर्स फीमेल हैं जो अच्छा काम
कर रही हैं।
हीरेंद्र: मीडिया पर कई तरह के आरोप लगते हैं? क्या इस तरह की बातें परेशान करती हैं?
चारुल मल्लिक: पहले परेशान करती थीं इस तरह की बातें। लेकिन, यह सच है कि
अच्छे और बुरे लोग हर जगह हैं।
हीरेंद्र: आपकी हॉबी क्या-क्या हैं?
चारुल मल्लिक: पिछले साल हमारे यहाँ कॉन्क्लेव हुआ तो उस दौरान मैंने कुछ
प्रोमो लिखे थे जो सबको काफी पसंद आये। तो उसके बाद
मैंने लिखना शुरू किया। अब कविताएं भी लिखने की कोशिश करती हूँ, कभी-कभी जब थॉट आ जाए। इसके अलावा मेरी हॉबी है फिट
रहो, डांस करने का शौक है मुझे। मैं अपनी
स्टाइलिस्ट खुद हूँ, अच्छा दिखने का शौक है। 365 दिनों में 300 दिन अपने स्टाइल किये किये कपड़े पहनती हूँ, मेरे घर में कपड़े रखने की अब जगह नहीं है।
हीरेंद्र: सोशल मीडिया को कैसे देखती हैं?
चारुल मल्लिक: सोशल मीडिया आज की तारिख में बहुत ज़रूरी है। हमारा पूरा परिवार
वहां होता है। उसके अलावा एक और नया परिवार
बनता है वहां। पॉज़िटिव तरीके से देखें तो सोशल मीडिया का लाभ है
लेकिन, अगर आप नेगेटिविटी को बढ़ाते हैं तो यह नुकसानदायक भी है।
हीरेंद्र: एक महिला के काम करने के लिए परिवार का सपोर्ट बहुत ज़रूरी
होता है न?
चारुल मल्लिक: परिवार के सपोर्ट के बिना महिलाओं के लिए राहें कभी आसान नहीं
रहीं। मुझसे कभी कोई सवाल नहीं पूछता कि मैं कब आ रही हूँ, कब जा रही
हूँ। बिना परिवार के सपोर्ट के यह सब संभव नहीं है।
हीरेंद्र: यूथ के लिए क्या संदेश?
चारुल मल्लिक: आप किसी की देखा देखी किसी की फील्ड में न आओ। आप अपने अंदर की बेचैनी को जानो और अपने मन से पूछो
कि आपको किस फील्ड में इंटरेस्ट है उसके बाद उस राह में अगर आप अपना करियर चुनते
हैं तो आप ज़्यादा सक्सेस पाते हैं और अगर आप मीडिया में आएं तो यह सोच कर आएं कि
यहाँ 24 घंटे सातों दिन काम करना होता है। यहाँ पर्सनल लाइफ के लिए
समय नहीं बचता। अगर आप यहां आना चाहते हैं तो मान कर चलिए की आप
एक वार रूम में आ रहे हैं और इसके लिए आपको पूरी तरह से तैयार होकर आना होगा।
हीरेंद्र: कभी कोई किताब लिखेंगी आप?
चारुल मल्लिक: मेरे मन में है कि एक किताब मैं एक एंकर और टीवी स्टार्स के
लाइफ पर लिखूं। क्योंकि मैं उनकी लाइफ को बहुत करीब से देख रही हूँ और वो एक पॉजिटिव किताब होगी।
Interview: Charul Malik, Source: Aadhi Aabadi