Sunday, January 26, 2020

तुम आज बुझे बुझे से क्यों हो

शाम का अँधेरा गहरा होता
इस से पहले तुमने मुझे जलाया...
मैं लालटेन की तरह जलता रहा...
तुम जिसके लौ में अपने सारे काम
जल्दी-जल्दी निपटाती रही...
काम पूरा हुआ, रात होने को है,
अब तुम्हें सोना है शायद !!
तुमने लौ कम करके फूंक मार कर मुझे बुझा दिया..
मैं बुझ गया...
तुम सो गये..
तेरे सपने ने मुझसे पूछा था
जब तुम नींद में थे...
कि आज तुम इतने बुझे-बुझे से क्यों हो? #हीरेंद्र

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