Friday, March 30, 2018

रोमांस, प्रेम और सेक्स में अंतर है- पहली किश्त

अभी जब मैं यह लिखने बैठा तो मेरी नज़र खिड़की के बाहर चांद पर गई. गुलजार याद आए. उनकी एक बात याद आई. गुलजार ने चांद पर जितना और जिस तरीके से लिखा है वह काफी पसंद किया गया. एक जगह वह लिखते हैं- 'जैसे चिड़िया दाना चुगती है वैसे ही उनके मन का मयूर चांद को चुग रहा है'. अहा! यह जो गहराई है, यह जो शिद्दत है यह बिना रोमांटिसिज्म के संभव नहीं. प्यार में ऐसा नहीं कहते? आप रोमांस में ही ऐसा कह सकते हैं. और ऐसा नहीं है कि गुलजार आज लिख रहे हैं यह सब..दरअसल, इस तरह के प्रयोग लेखन के जरिए 1800 इसवीं के आसपास शुरू हो गए थे. अंग्रेज़ी साहित्य में एक पूरी शताब्दी है रोमांटिसिज्म के नाम पर. 
 
हिंदी में स्वच्छंदतावाद कहा जाता है! तो ये रोमांटिसिज़्म कुछ इस तरह का है कि इसमें कुछ चीजों को तो पूरी तरह से नकार दिया गया तो कुछ बातों पर पूरी तरह से केंद्रित होकर सृजन किया गया है. यहां एक मूर्त रूप चाहिए होता है, जिसको अपनी निहार सके..महसूस कर सके..यहां विविधता है..प्रकृति है..कुछ भी मशीनी नहीं! आजादी है, उन्मुक्तता है..
 
रूसो ने अपने दौर में इस बात को शिद्दत से महसूस किया और  कहा भी कि एक आदर्श और खूबसूरत दुनिया अगर बनानी है तो प्रकृत अवस्था की ओर लौटना होगा! रोमांटिसिज़्म का मतलब यह रहा उनके लिए तो अंग्रेज़ी साहित्य में यह एक आंदोलन की तरह चला है. विलियम ब्लैक, विलियम वर्डस्वर्थ, कोलरिज, बायरन, शेली, कीट्स इन सबने वो सबकुछ रच दिया है जो बाद में हिंदी वालों ने छायावाद के रूप में रचना शुरू किया और गुलज़ार जैसों ने चाँद के बहाने रचा! 

जैसे आज हर तरफ राष्ट्रवाद की गूंज आप सुनते हैं कभी रोमांटिक राष्ट्रवाद की बात भी जर्मनी के दार्शनिक हार्डर किया करते थे. लोक संस्कृति, कला के प्रचार-प्रसार को महत्व दिया गया. भारत सहित अन्य देश में रोमांटिसिज़्म अपने-अपने तरीके से विकसित हुआ! 

कई उदाहरण है लेकिन, इसे मैं पीएचडी की थीसिस की तरह नहीं लिख रहा हूं! तो रोमांटिसिज़्म का अर्थ जो बताया गया है उनमें संवेदनाओं पर जोर देते हुए किसी वस्तु, व्यक्ति विशेष या अतीत के वैभव को, विरासत को, प्रकृति को, इन सबका एक तरह से गुणगान करना है! 

ज़ाहिर है रोमांस का मतलब प्यार तो बिल्कुल भी नहीं, जो समझने की भूल कर ली जाती है अपने यहां ! यह लेख जारी रखूँगा! फिलहाल इतना ही! प्यार और सेक्स पर भी खुल कर लिखना चाहूंगा ताकि तीनों का अंतर स्पष्ट हो सके. 

#हीरेंद्र

No comments:

विदा 2021

साल 2021 को अगर 364 पन्नों की एक किताब मान लूँ तो ज़्यादातर पन्ने ख़ुशगवार, शानदार और अपनों के प्यार से महकते मालूम होते हैं। हिसाब-किताब अगर ...