Sunday, March 31, 2019

रविवारनामा 2

आज कमीज में बटन लगाते हुए माँ की बहुत याद आई. वो चश्मा पहने सुई में धागा डालती माँ कितनी क्यूट लगती थी. अब कभी किसी शर्ट का बटन टूट जाये तो वो महीनों यूं ही पड़ा रहता है. कई बार तो मैं जान बूझकर भी उसे टाले रहता हूँ कि किसी इतवार के दिन जब अकेले होऊंगा तब लगा लूँगा बटन.. कि इसी बहाने फिर से जी लूँगा अपने हिस्से का बचपन #रविवारनामा #हीरेंद्र

No comments:

विदा 2021

साल 2021 को अगर 364 पन्नों की एक किताब मान लूँ तो ज़्यादातर पन्ने ख़ुशगवार, शानदार और अपनों के प्यार से महकते मालूम होते हैं। हिसाब-किताब अगर ...