आज कमीज में बटन लगाते हुए माँ की बहुत याद आई. वो चश्मा पहने सुई में धागा डालती माँ कितनी क्यूट लगती थी. अब कभी किसी शर्ट का बटन टूट जाये तो वो महीनों यूं ही पड़ा रहता है. कई बार तो मैं जान बूझकर भी उसे टाले रहता हूँ कि किसी इतवार के दिन जब अकेले होऊंगा तब लगा लूँगा बटन.. कि इसी बहाने फिर से जी लूँगा अपने हिस्से का बचपन #रविवारनामा #हीरेंद्र
मैं सिर्फ देह ही नहीं हूँ, एक पिंजरा भी हूँ, यहाँ एक चिड़िया भी रहती है... एक मंदिर भी हूँ, जहां एक देवता बसता है... एक बाजार भी हूँ , जहां मोल-भाव चलता रहता है... एक किताब भी हूँ , जिसमें रोज़ एक पन्ना जुड जाता है... एक कब्रिस्तान भी, जहां कुछ मकबरे हैं... एक बाग भी, जहां कुछ फूल खिले हैं... एक कतरा समंदर का भी है ... और हिमालय का भी... कुछ से अनभिज्ञ हूँ, कुछ से परिचित हूँ... अनगिनत कणों को समेटा हूँ... कि मैं ज़िंदा हूँ !!! - हीरेंद्र
Sunday, March 31, 2019
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विदा 2021
साल 2021 को अगर 364 पन्नों की एक किताब मान लूँ तो ज़्यादातर पन्ने ख़ुशगवार, शानदार और अपनों के प्यार से महकते मालूम होते हैं। हिसाब-किताब अगर ...
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"हम हैं बच्चे आज के बच्चे हमें न समझो तुम अक़्ल के कच्चे हम जानते हैं झूठ और सच हम जानते हैं गुड टच, बैड टच मम्मी, पापा जब...
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संगीतकार साजिद-वाजिद की यह जोड़ी आज टूट गयी। वाजिद के निधन की ख़बर से आज मन उदास है। हम जैसे नये लोगों से भी वो बेहद प्यार और सम्मान से मिलते...
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लॉक डाउन में अकेले रहते हुए बहुत सी बातें मेरे मन में चलती रही हैं। आज हर तरफ जिस तरह का माहौल है, ऐसे में मुझे सब कुछ फ़र्ज़ी लगने लगा है। लग...
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