Thursday, April 17, 2014

आदमी

पेश है निदा फाजली की प्रसिद्ध ग़ज़ल ' आदमी' 

हर तरफ हर जगह बेशुमार आदमी,
फिर भी तनहाइयों का शिकार आदमी,

सुबह से शाम तक बोझ ढ़ोता हुआ,
 अपनी लाश का खुद मज़ार आदमी,

 हर तरफ भागते दौड़ते रास्ते,
 हर तरफ आदमी का शिकार आदमी,

 रोज़ जीता हुआ रोज़ मरता हुआ,
 हर नए दिन नया इंतज़ार आदमी,

 जिन्दगी का मुक्कदर सफ़र दर सफ़र,
 आखिरी साँस तक बेकरार आदमी


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