Saturday, May 12, 2018

मदर्स डे पर एक जरूरी बात


माँ बनने के अहसास को साहित्य और संस्कार ने बड़ा ही खूबसूरत बताया है. जरूरी नहीं कि आप इससे सहमत हो पर एक बड़ी आबादी इस बात को स्वीकार कर चुकी है. आज मैं कविता, कहानी या तस्वीर नहीं लगा रहा हूँ.. बल्कि एक बेसिक से सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश में यह पोस्ट लिख रहा हूँ.

बात मातृत्व सुख की हो रही थी. हाल के वर्षों में मैंने अपने दोस्तों और परिजनों के बीच एक चिंताजनक बात नोटिस की है. मैंने अनुभव किया है कि तीस की उम्र के बाद अधिकाँश लड़कियों को माँ बनने में दिक्कत हो रही है. पैंतीस की उम्र तक पहुंचते पहुंचते तो उनकी बेचैनी इतनी बढ़ जाती है कि वे अवसाद में भी चली जाती हैं. वो जहां जाती हैं बस उनसे यही सवाल पुछा जाता है कि- गुड न्यूज़ कब दे रही हो? जोड़ता चलूँ कि समाज बदला ज़रूर है लेकिन, आज भी किसी औरत का बाँझ होना उसे हीन ग्रंथी से भर देता है!

जब मैंने इंटरनेट पर इस विषय में कुछ लेख खंगाले तो जाना कि आज की लाइफस्टाइल  का असर माँ और पिता बनने की क्षमता पर भी हुआ है. यह भी पढ़ा कि अगर 30,32 की उम्र तक गर्भ धारण न किया जाये तो आगे मुश्किल आती है. यह भी पढ़ा कि दुनिया की 95 प्रतिशत स्त्री तीस से पहले ही मां बन जाती हैं.

बहरहाल, जब मैं समाधान की तरफ गया तो पाया कि अनुशासित जीवन शैली, संतुलित आहार, व्यायाम आदि के जरिये हम यह सुख तीस के बाद भी पा सकते हैं. लेकिन, आज हम सब अपने हेल्थ को लेकर कितने सचेत हैं यह आप खुद तय कर लीजिये.

समय की मांग यह भी है कि कई बार पति-पत्नी दोनों ही नौकरी कर रहे होते हैं. ऐसे में कई बार बच्चे की ज़रूरत को कुछ वर्षों के लिए टाल भी दिया जाता है. और जब वे बच्चे की सोचते हैं तब उन्हें लंबा समय लग जाता है! बॉलीवुड में या कुछ कोर्पोरेट इंडस्ट्री में सरोगेसी का चलन इसलिए भी बढ़ता जा रहा है! आम आदमी सरोगेसी या ऐसी तकनीक से अभी बहुत दूर है. हां किसी बच्चे को गोद लेना भी एक अच्छा विकल्प है! इन सवालों के बीच मैं इस बात से भी सहमत हूँ कि माँ बनना या नहीं बनना आपकी अपनी च्वाइस है.. लेकिन,  जानकारी तो जरूरी है न?  #हैप्पी मदर्स डे #हीरेंद्र

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