Tuesday, May 22, 2018

छोटी कविता

जनता जो भीड़ है
भीड़ जो गुम है..
गुम बोले तो बेबस
बेबसी यानी घुटन
घुटन बोले तो अंत
अंत तो मौत है

भीड़ ने एक चेहरा चुना
चेहरे पर एक पहरा चुना
पहरेदार जो क़ातिल है
क़ातिल जो शातिर है
क्या शातिर का अंत होगा?
अंत में तो जनता है..

जनता जो भीड़ है
भीड़ जो गुम है #हीरेंद्र

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