Tuesday, March 24, 2020

#कोरोनाडायरी #Corona #Covid19

मुंबई में अपने कमरे में हूँ। अकेले। शनिवार से ही यहाँ कर्फ़्यू सा माहौल है। ऐसे समय में लगता है कि काश घर, परिवार के साथ होते! बाबूजी से किस्से सुनते, माँ के पैर दबाते या बिटिया संग लुडो खेलते या फिर उसकी मम्मी को कविताएं सुनाते, गीत गाते। पूरे घर की सफाई खुद करते। बर्तन धोते, खाना बनाते। 'बावर्ची' वाला राजेश खन्ना बन जाते 😊 और कभी-कभी दरवाज़े पर खड़े होकर रास्ते से गुज़रने वाले हर व्यक्ति को हाथ जोड़ कर कहते - घर जा भाई, न तो मर जायेगा



हकीकत तो यही है कि मुंबई में हूँ और अकेले हूँ। दुनिया भर की ख़बरों पर नज़र है। कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। यही हालात रहे तो स्तिथि बेहद खतरनाक भी हो सकती है। ऐसा कुछ न हो इसके लिए सिर्फ प्रार्थनायें ही की जा सकती हैं। अपने देश में स्वास्थ्य सुविधाओं का ढांचा इतना लचर है कि इस तरह की आपदा के लिए हम बिल्कुल भी तैयार नहीं। फिलहाल जितना हो सके अपने-अपने घरों पर रहिये और हाथ धोते रहिये इस निर्देश का पालन यथासंभव देशवासी कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी कोरोना को लेकर भावुकता, जागरूकता, सतर्कता और अफ़वाहों का मिलाजुला मॉडल दिख रहा है। ज़्यादातर लोग आशावादी हैं और एक दूसरे को ख़्याल रखने के लिए कह रहे हैं। तमाम बॉलीवुड स्टार्स और सेलिब्रिटी लगातार लाइव आकर जनता को जागरूक करने का काम कर रहे हैं।

अपने घर पर बैठा मैं सबको चुपचाप देख-सुन रहा हूँ। आप सबकी तरह मैं भी अपने परिजनों को लेकर फ़िक्रमंद हूँ और लगातार सबसे बातचीत हो जा रही है। फोन पर माँ-बाबूजी रोज़ बिना नागा हाल-चाल ले लेते हैं। कुछ दोस्त रिश्तेदारों से कई बार लंबी बातचीत भी हो रही है। आख़िर इतनी फुर्सत आसानी से हमारे हिस्से आता भी तो नहीं।

 जब से लॉक-डाउन और कर्फ्यू की ख़बरें आनी शुरू हुई, उससे पहले से ही लोग अपने-अपने घरों में राशन आदि ज़रूरत का सामान जमा करने लगे। उन्होंने जैसे मान ही लिया था कि दुनिया जैसे ख़त्म हो रही है और वो जितना हो सकता है उतना भर कर रख लें। ऐसे देशभक्तों को क्या ही कहा जाए? लेकिन, दूसरी तरफ ऐसे लोग भी दिखे जो आम लोगों को ज़रूरत का सभी सामान उपलब्ध कराने के प्रयास में भी जुट गए हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरबिंद  केजरीवाल के आह्वान पर कई लोगों ने यह जिम्मेदारी ली है कि उनके इलाके में कोई भूखा नहीं रहेगा। यह एक अच्छी पहल है। आज महाराष्ट्र से 12 मरीजों के ठीक होने की ख़बर भी आयी है, यह भी एक सुखद समाचार है।

गौरतलब है कि कोरोना वायरस बुजुर्गों और उन लोगों के लिए ज़्यादा खतरनाक है जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है। ऐसे में इन लोगों का ध्यान रखने के लिए हम सबको अपना-अपना बचाव करना होगा।

इंसान बहुत जल्दी में है। भागते-भागते आज वो उस मुकाम पर है जहाँ उसने अपने लिए एक ऐसी दुनिया रच ली है जहाँ खड़े होकर आधुनिकता इतराया करती है। लेकिन, इन सबके बीच हम भूल गए हैं कि इस ब्रह्माण्ड में सिर्फ इंसान ही नहीं दूसरे जीव-जंतु भी रहते हैं। प्रकृति एक दिन सबकुछ अपने हिसाब से कर लेती है। उसे संतुलन बनाना आता है। इस बार भागती जा रही मनुष्यता को उसने ठहर कर सोचने पर मजबूर कर दिया है। कि एक पल रुक कर हम सोचें कि क्या हमें हमारे किये की सज़ा मिल रही है?

क्या इस संकट से उबरने के बाद यह दुनिया थोड़ी बदल जायेगी? क्या हम सब एक इंसान के रूप में थोड़े बेहतर हो सकेंगे? अगर इसका जवाब हाँ है तो इसकी शुरुआत अभी से करनी होगी। और वो आप अपना ख़्याल रख कर घर बैठे-बैठे ही कर सकते हैं। 


 #कोरोनाडायरी1  #Corona #Covid19 #India #Humanity #Lockdown

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