Thursday, April 03, 2014

ज़िन्दगी ये खूबसूरत है बहुत, हो सके तो आँख भर के देख तू।
इक नया मानी तुझे मिल जायेगा, मेरे लफ़्ज़ों में उतर के देख तू।



जो चिराग तेज़ आँधियों में भी जल रहे हैं, उनके लिए दुआ कीजिये!

                                          जो चिराग तेज़ आँधियों में भी जल रहे हैं, उनके लिए दुआ कीजिये!

Friday, March 28, 2014

अपनी रहमत के खज़ानो से अता कर मालिक...
ख्वाब औकात में रह कर नहीं देखे जाते 

Thursday, March 27, 2014

ये संसद है यहाँ भगवान का भी बस नहीं चलता

ये संसद है यहाँ भगवान का भी बस नहीं चलता
जहाँ पीतल ही पीतल हो वहाँ पारस नहीं चलता
यहाँ पर हारने वाले की जानिब कौन देखेगा
सिकन्दर का इलाक़ा है यहाँ पोरस नहीं चलता
दरिन्दे ही दरिन्दे हों तो किसको कौन देखेगा
जहाँ जंगल ही जंगल हो वहाँ सरकस नहीं चलता
हमारे शहर से गंगा नदी हो कर गुज़रती है
हमारे शहर में महुए से निकला रस नहीं चलता
कहाँ तक साथ देंगी ये उखड़ती टूटती साँसें
बिछड़ कर अपने साथी से कभी सारस नह
ीं चलता
ये मिट्टी अब मेरे साथी को क्यों जाने नहीं देती
ये मेरे साथ आया था क्यों वापस नहीं चलता...

मुन्नवर राणा जी के साथ मैं 

कबीर



सहज मिले तो दूध सम, मांगे मिले तो पानी 
कहे कबीर वो रक्त सम, जा में खींचातानी...

Wednesday, February 05, 2014

एक चिड़िया को प्रेम हो गया! उसे बिल्कुल भी भान न था कि जिस शख्स से वो प्यार कर बैठी है वो कोई चिड़ीमार है! चिड़िया के पास ढेरो सुनहरे पंख थे, ज़ाहिर है चिड़ीमार के पास अब पैसों की कोई कमी नहीं रही! सोने की खान पर बैठी चिड़िया कब सोने के पिंजरे में क़ैद हो गयी उसे अंदाजा ही न हो सका! वो बीमार रहने लगी। उसके पर कतरे जा चुके थे! उसे आभास हो गया कि अब जाना है! अलविदा दुनिया! प्रेम करना और निभा पाना कहाँ सबके बस की बात है? आज जाने दो, अभी थोड़ा वक़्त लगेगा किसी पर दुबारा भरोसा करने में! मैं जल्दी ही आउंगी एक बार फिर से सच्चे प्रेम की तलाश में! उम्मीद करती हूँ अगली बार यूँ टूटकर नहीं बिखरुंगी! क्या कहा कुछ ज्यादा मांग लिया क्या मैंने? 
(एक अधूरी प्रेम कथा, इसे किसी घटना से जोड़कर न देखें! - हिरेन्द्र )

Thursday, September 19, 2013

मेरे मोबाइल तुम्हे ढेर सारा प्यार

कभी भी बोल उठती हो तुम..आते-जाते, सिसकते-मुस्काते, सोते-जागते, रास्तों पर, घर में या बीच सफर में...कभी-कभी ऐसे कांपने लगती हो जैसे कोई भूचाल सा आ गया हो..कभी-कभी शोर में तुम्हे सुन नहीं पाता, कभी-कभी अनसुना कर देता हूँ तो कभी अनदेखा भी..कभी ख़ामोशी से कोई सन्देश ले आती हो...कभी खुशी तो कभी परेशानी भी दे जाती हो! तुम्हारा होना अब आदत है मेरी...और हाँ, जब उसका नाम तेरे गाल पर पढ़ता हूँ तो तेरी मिलकियत सुहाने लगती है...ऐसे,ही मेरी ज़िन्दगी में संगीत और समर्पण के रंग भरते रहना...मेरे मोबाइल तुम्हे ढेर सारा प्यार - हिरेन्द्र

विदा 2021

साल 2021 को अगर 364 पन्नों की एक किताब मान लूँ तो ज़्यादातर पन्ने ख़ुशगवार, शानदार और अपनों के प्यार से महकते मालूम होते हैं। हिसाब-किताब अगर ...