'घूम' जहाँ हम रुके थे वहां कई बौद्ध मठ हैं.
टॉय ट्रेन यहाँ की लाइफलाइन है. किराया महंगा है लेकिन इस ट्रेन में सफर करते हुए पहाड़ियों से गुजरना स्वर्गलोग के सैर करने की तरह है.
मिरिक के चाय बागान बेहद मनमोहक हैं. वहां के पारंपरिक परिधान में हम सब खूब जंच रहे थे.
दार्जिलिंग का माल रोड भी रौनक से भरा रहा.
गेस्ट हाउस से निकलते समय हमें वहां पारम्परिक तरीके से स्टॉल पहनकर सम्मान किया गया.
वहां से लौटते हुए हम नेपाल भी छू आये.
कुल मिलाकर ख़ुशी, शालिनी और एक करीबी दोस्त संग यादगार रही हमारी यात्रा।