'मिशन मंगल' एक बेहतरीन और इंस्पायरिंग फ़िल्म है.. पहले ही प्रयास में भारत के मंगल ग्रह पर पहुंचने की कहानी के साथ यह फ़िल्म कई अन्य विषयों को भी बखूबी ढंग से दिखाती है.. जैसे कि जवान हो रही पीढ़ी के साथ माता-पिता का व्यवहार कैसा हो या फिर किसी तलाकशुदा औरत को मकान मिलने में कितनी परेशानी होती है..वगैरह.. वगैरह.. इस तरह की कई छोटी-छोटी बातें फ़िल्म में इस तरह से पिरो दी गई हैं कि वो आपको हँसाती भी हैं, रुलाती भी हैं और ठहरकर सोचने पर भी मजबूर करती हैं! डॉयलॉग जबर्दस्त है..कुल मिलाकर एक मनोरंजक फ़िल्म..पूरे परिवार के साथ देख आइये.. मेरी रेटिंग 5 में से 5 स्टार.. शुक्रिया.. #हीरेंद्र
मैं सिर्फ देह ही नहीं हूँ, एक पिंजरा भी हूँ, यहाँ एक चिड़िया भी रहती है... एक मंदिर भी हूँ, जहां एक देवता बसता है... एक बाजार भी हूँ , जहां मोल-भाव चलता रहता है... एक किताब भी हूँ , जिसमें रोज़ एक पन्ना जुड जाता है... एक कब्रिस्तान भी, जहां कुछ मकबरे हैं... एक बाग भी, जहां कुछ फूल खिले हैं... एक कतरा समंदर का भी है ... और हिमालय का भी... कुछ से अनभिज्ञ हूँ, कुछ से परिचित हूँ... अनगिनत कणों को समेटा हूँ... कि मैं ज़िंदा हूँ !!! - हीरेंद्र
Thursday, August 15, 2019
Monday, July 29, 2019
ये सब कोई नहीं बताएगा, पढ़ लीजिये। फायदे में रहेंगे! #हीरेंद्र
१. अगर आपका कैमरा चोरी हो जाए तो परेशान न हों. आप Stolencamrafinder.com पर जायें। जहाँ आप अपने कैमरे से खींची हुई कोई तस्वीर अपलोड कर दें (हर फोटो का एक एम्बेड नंबर होता है). जब कोई आपके कैमरे से खींची गयी तस्वीर इंटरनेट या सोशल मीडिया पर कहीं शेयर करता है तो इसकी सूचना आपको मिल जायेगी। फिर आप चोर का लोकेशन थोड़ी कोशिश करके पा सकते हैं.
२. Duolingo.com पर जाकर आप कोई भी दूसरी भाषा आसानी से सीख सकते हैं. हाँ अभ्यास करते रहना होगा।
३. आपकी नींद पूरी नहीं हुई है. चलिए कोई बात नहीं। अब ये कीजिये कि मन में सोच लीजिये की आप बहुत ही गहरी नींद से जागे हैं और तरोताज़ा महसूस कर रहे हैं. सिर्फ ऐसा करके ही आप दिन भर बेहतर महसूस कर सकते हैं. यकीन नहीं, चलिए कभी आज़मा कर देखिये। हाँ, इस दौरान ये भूल से भी मत सोचियेगा कि आपकी नींद पूरी नहीं हुई है.
४. मान लीजिये आपने किसी गाड़ी को टक्कर मार दी. अब टक्कर मार तो दी लेकिन, उस वक़्त सॉरी नहीं बोलियेगा। आपका सॉरी बोलना कोर्ट में आपके खिलाफ जा सकता है. ज़ाहिर है सॉरी बोलकर आप अपनी गलती मान रहे हैं.
5. तारीख के हिसाब से पैसे बचाइए। जैसे एक तारीख को एक रूपया। दो तारीख को दो रूपया , उसी तरह 30 तारीख को 30 रूपया। ऐसा आप एक साल तक रोज़ करें। यह बचत बहुत आसान है. जानते हैं एक साल के बाद आपके पास कितने रुपये होंगे। लगभग 5 हज़ार सात सौ रुपये। तो कब से शुरू कर रहे हैं ये बचत?
६- अगर आप हवाई यात्रा करते हैं तो 6 से 8 सप्ताह पहले टिकट बुक करें। टिकट आप मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को ही बुक करें। यात्रा का दिन भी मंगल, बुध या गुरुवार हो. इस दिन टिकट सबसे सस्ता होता है. रविवार को उड़ना तो छोड़िये टिकट बुक करना ही महंगा पड़ता है. क्योंकि ज़्यादातर लोग रविवार को ही फुर्सत में होते हैं टिकट बनाने के लिए.
Saturday, July 27, 2019
घड़ी को गुदगुदी लगाता हूँ- हीरेंद्र
मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ -दुष्यंत कुमार
अब मेरी तुकबन्दी देखिये

मैं आसमाँ तारों से सजाता हूँ
मन में एक रौशनी उतरती है
जब तुझको गले लगाता हूँ
शाम में रंग भरने लगता है
जब तेरा नाम गुनगुनाता हूँ
मिलन का है मज़ा जुदाई में
आज जाने दे कल आता हूँ
मेरी लाइफ तुझी से रौशन है
जो भी मिलता उसे बताता हूँ
कभी तो वक़्त मुस्कुराएगा
घड़ी को गुदगुदी लगाता हूँ

'अभागा सावन' - हीरेंद्र
सुना है कि इस मौसम में कभी वो बेलपत्रों पर ॐ नमः शिवाय का मंत्र भी लिखा करता तो कभी किसी की हथेली में लगी मेहँदी में ढूंढता था अपना लिखा नाम. जिन हरी काँच की चूड़ियों ने कभी उसका मन खनकाया था वो अब टूटकर उसके कलेजे में कहीं धँस सी गई है. अब उसके लिए सावन का मतलब सिर्फ बारिश होने का एक मौसम भर है.
अब उसके मन में कोई मोर नहीं नाचता. सावन के झूलों का तो पता नहीं लेकिन, अब वो झूलता रहता है अतीत के उन अँधेरों में जहाँ अब उसे कोयल की कूक भी झूठी लगती है. इतना अभागा ये सावन कभी न था. क्योंकि एक कवि ने अब सावन पर लिखना बंद कर दिया है. #अभागासावन #हीरेंद्र
Friday, July 26, 2019
एक छोटी सी कविता
आते हैं रात में भी दिन के ही ख़्वाब मुझको
काँटे भी चल के आये देने गुलाब मुझको
आँखों में बच गया है थोड़ा सा अब भी पानी
नहीं चाहिए जी छोड़ो कोई हिसाब मुझको
जल रहा हूँ मैं तभी से क्या बताऊँ ये किसी से
कोई कह के हाँ गया था इक दिन तेज़ाब मुझको
बस यही है एक ख़्वाहिश न चाहूँ इससे ज़्यादा
गुज़रुं जिधर से दुनिया करे आदाब मुझको #हीरेंद्र
Friday, July 19, 2019
नागों के बारे में कुछ दिलचस्प बातें! #हीरेंद्र
हीरेंद्र झा, मुंबई
Friday, July 12, 2019
Movie Review: Super 30
हाल के पांच, सात वर्षों में मुझे ध्यान नहीं पड़ता कि किसी फिल्म ने इस कदर छुआ हो.. रितिक रौशन दिल जीत लेते हैं. ये फिल्म हमें बार बार इमोशनल कर जाती है, एक बेहतर इंसान बनाती है..दूसरों के बारे में सोचना सिखाती है.. एक उम्मीद देती है..एक भरोसा जगाती है..
ये फिल्म आप अपने परिवार के साथ देख सकते हैं और मैं गारंटी के साथ यह कह सकता हूँ कि आप निराश नहीं होंगे.. ठीक है.. थैंक्यू

विदा 2021
साल 2021 को अगर 364 पन्नों की एक किताब मान लूँ तो ज़्यादातर पन्ने ख़ुशगवार, शानदार और अपनों के प्यार से महकते मालूम होते हैं। हिसाब-किताब अगर ...

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"हम हैं बच्चे आज के बच्चे हमें न समझो तुम अक़्ल के कच्चे हम जानते हैं झूठ और सच हम जानते हैं गुड टच, बैड टच मम्मी, पापा जब...
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साल 2021 को अगर 364 पन्नों की एक किताब मान लूँ तो ज़्यादातर पन्ने ख़ुशगवार, शानदार और अपनों के प्यार से महकते मालूम होते हैं। हिसाब-किताब अगर ...
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मुझे याद है बचपन में हमारे मोहल्ले में एक बांसुरी वाला आया करता था। उसके पास एक डंडा हुआ करता जिस पर अलग अलग रंग और आकार के छोटे बड़े कई बांस...